- यह मंदिर 800 वर्ष पुराना एवं अल्मोड़ा नगर से लगभग 17 किमी की दूरी पर पश्चिम की ओर स्थित उत्तराखण्ड शैली का है. अल्मोड़ा-कौसानी मोटर मार्ग पर कोसी से ऊपर की ओर कटारमल गांव में यह मंदिर स्थित है.
- यह मंदिर हमारे पूर्वजों की सूर्य के प्रति आस्था का प्रमाण है, यह मंदिर बारहवीं शताब्दी में बनाया गया था, जो अपनी बनावट एवं चित्रकारी के लिए विख्यात है. मंदिर की दीवारों पर सुंदर एवं आकर्षक प्रतिमायें उकेरी गई हैं. जो मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगा देती हैं. यह मंदिर उत्तराखण्ड के गौरवशाली इतिहास का प्रमाण है.
- महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने इस मन्दिर की भूरि-भूरि प्रशंसा की. उनका मानना है कि यहाँ पर समस्त हिमालय के देवतागण एकत्र होकर पूजा-अर्चना करते रहे हैं. उन्होंने यहाँ की दीवारों पर उकेरी गई मूर्तियों एवं कला की प्रशंसा की है. इस मन्दिर में सूर्य पद्मासन लगाकर बैठे हुए हैं. सूर्य भगवान की यह मूर्ति एक मीटर से अधिक लम्बी और पौन मीटर चौड़ी भूरे रंग के पत्थर से बनाई गई है. यह मूर्ति बारहवीं शताब्दी की बतायी जाती है. कोणार्क के सूर्य मन्दिर के बाद कटारमल का यह सूर्य मन्दिर दर्शनीय है. कोणार्क के सूर्य मन्दिर के बाहर जो झलक है, वह कटारमल के सूर्य मन्दिर में आंशिक रूप में दिखाई देती है.
- देवदार और सनोबर के पेड़ों से घिरे अल्मोड़ा की पहाड़ियों में स्थित कटारमल का सूर्यमंदिर 9 वीं सदी की वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है. कस्तूरी साम्राज्य में इसे बनवाया गया था.

कटारमल सूर्य मंदिर
इस सूर्य मंदिर का लोकप्रिय नाम बारादित्य है. पूरब की ओर रुख वाला यह मंदिर कुमाऊं क्षेत्र का सबसे बड़ा और सबसे ऊंचा मंदिर है. माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कत्यूरी वंश के मध्यकालीन राजा कटारमल ने किया था, जिन्होंने द्वाराहाट से इस हिमालयीय क्षेत्र पर शासन किया. यहां पर विभिन्न समूहों में बसे छोटे-छोटे मंदिरों के 50 समूह हैं. मुख्य मंदिर का निर्माण अलग-अलग समय में हुआ माना जाता है. वास्तुकला की विशेषताओं और खंभों पर लिखे शिलालेखों के आधार पर इस मंदिर का निर्माण 13वीं शदी में हुआ माना जाता है.
इस मंदिर में सूर्य पद्मासन मुद्रा में बैठे हैं, कहा जाता है कि इनके सम्मुख श्रद्धा, प्रेम व भक्तिपूर्वक मांगी गई हर इच्छा पूर्ण होती है. इसलिये श्रद्धालुओं का आवागमन वर्ष भर इस मंदिर में लगा रहता है, भक्तों का मानना है कि इस मंदिर के दर्शन मात्र से ही हृदय में छाया अंधकार स्वतः ही दूर होने लगता है और उनके दुःख, रोग, शोक आदि सब मिट जाते हैं और मनुष्य प्रफुल्लित मन से अपने घर लौटता है. कटारमल गांव के बाहर छत्र शिखर वाला मंदिर बूटधारी सूर्य के भव्य व आकर्षक प्रतिमा के कारण प्रसिद्ध है. यह भव्य मंदिर भारत के प्रसिद्ध कोणार्क के सूर्य मंदिर के पश्चात दूसरा प्रमुख मंदिर भी है. स्थानीय जनश्रुति के अनुसार कत्यूरी राजा कटारमल्ल देव ने इसका निर्माण एक ही रात में करवाया था. यहां सूर्य की बूटधारी तीन प्रतिमाओं के अतिरिक्त विष्णु, शिव और गणेश आदि देवी-देवताओं की अनेक मूर्तियां भी हैं.
ऎसा कहा जाता है कि देवी-देवता यहां भगवान सूर्य की आराधना करते थे, सुप्रसिद्ध साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन भी मानते थे कि समस्त हिमालय के देवतागण यहां एकत्र होकर सूर्य की पूजा-अर्चना करते थे. प्राचीन समय से ही सूर्य के प्रति आस्थावान लोग इस मंदिर में आयोजित होने वाले धार्मिक कार्यों में हमेशा बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी दर्ज करवाते हैं, क्योंकि सूर्य सभी अंधकारों को दूर करते हैं, इसकी महत्ता के कारण इस क्षेत्र में इस मंदिर को बड़ा आदित्य मंदिर भी कहा जाता है. कलाविद हर्मेन गोयट्ज के अनुसार मंदिर की शैली प्रतिहार वास्तु के अन्तर्गत है।
इस मंदिर की स्थापना के विषय में विद्वान एकमत नहीं हैं, कई इतिहासकारों का मानना है कि समय-समय पर इसका जीर्णोद्धार होता रहा है, लेकिन वास्तुकला की दृष्टि से यह सूर्य मंदिर 21 वीं शती का प्रतीत होता है. वैसे इस मंदिर का निर्माण कत्यूरी साम्राज्य के उत्कर्ष युग में 8वीं - 9वीं शताब्दी में हुआ था, तब इस मंदिर की काफी प्रतिष्ठा थी और बलि-चरु-भोग के लिये मंदिर मेम कई गांवों के निवासी लगे रहते थे.
इस ऎतिहासिक प्राचीन मंदिर को सरकार ने प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्व स्थल घोषित कर राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित कर दिया है. मंदिर में स्थापित अष्टधातु की प्राचीन प्रतिमा को मूर्ति तस्करों ने चुरा लिया था, जो इस समय राष्ट्रीय पुरातत्व संग्रहालय, नई दिल्ली में रखी गई है, साथ ही मंदिर के लकड़ी के सुन्दर दरवाजे भी वहीं पर रखे गये हैं, जो अपनी विशिष्ट काष्ठ कला के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं.
कटारमल सूर्य मन्दिर तक पहुँचने के लिए अल्मोड़ा से रानीखेत मोटरमार्ग के रास्ते से जाना होता है. अल्मोड़ा से 14 किमी जाने के बाद 3 किमी पैदल चलना पड़ता है. यह मन्दिर 1554 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है. अल्मोड़ा से कटारमल मंदिर की कुल दूरी 17 किमी के लगभग है.
हम भी गए मजा आ गया
जवाब देंहटाएंnice blog
जवाब देंहटाएंthanks for share info about almora uttarakhand
धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअच्छा लेख। कटारमल मंदिर के बारे में तथ्य उपलब्ध कराने हेतु धन्यवाद्।
जवाब देंहटाएंअन्य जानकारियों हेतु इस वेबसाइट पर भी विजिट कर सकते हैं।
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Arya Samaj Mandir Ghaziabad
जवाब देंहटाएंThere are thousands of such people in the country, who take advantage of this human right given to the citizens by the law.